प्रवेशद्वार के लिए वास्तु टिप्स
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- मुख्य प्रवेश द्वार हमेशां घडी के अनुसार (क्लॉकवाइस) खुलना जरुरी है। विपरीत स्थिति में आप वास्तु के पिरामिड ऐरो का प्रयोग कर सकते है।
- प्रवेश द्वार के नीचे जमीन पर देहलीज का होना आवश्यक है। यह आपकी जगह को बाहरकी नकारात्मक ऊर्जा से बचता है। देहलीज लकड़े की किंवा मार्बल की बनवाये। दक्षिण दिशा में आप लाल कलर की ग्रेनाइट की पट्टी लगवा सकते है।
- देहलीज के नीचे द्वार की दिशा के अनुसार धातु के पिरामिड , सिक्के एवं स्वस्तिक वास्तु एक्सपर्ट की सलाह से निवास में समृद्धि के अवसर निरंतर प्राप्त होते है।
- द्वार के समक्ष लिफ्ट की उपस्थिति एक वास्तु दोष है। वास्तु अनुसार उसे कुपवेध कहते है।
- यह जरुरी है की आपका द्वार घर के आतंरिक द्वार से नाप में बड़ा हो।
- घर के सामने बिजली का खम्बा, पेड़, मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च, अस्पताल या कोई ऊँची दीवाल नहीं होनी चाहिए।
- नैऋत्य किंवा दक्षिण में दरवाजा है तो बाहुबली हनुमान यंत्र, भौम यंत्र एवं लेड मेटल के पिरामिड का उपयोग अनिवार्य है।
- दक्षिण एवं पश्चिम द्वार के समक्ष सीढ़ियां अशुभ परिणाम देती है। वास्तु के अनुसार पश्चिम अथवा दक्षिण दिशा में ढलान नुकसानदेय है। इस दिशा में उतरती सीढिया भी ढलान की तरह काम करती है।
- प्रवेश द्वार यह आपके घर का मुख है, उसके पास खुले जूते का जमाव न करे। कई घरो में जूते दरवाजे के बहार रखे जाते है । ज्यादातर घर के लोग और महेमान जूतों को कोई बॉक्स में रखने की बजाय उन्हें दरवाजे के सामने रख देते है इससे नकारात्मक ऊर्जा का निर्माण होता है।
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